बुद्धि चौधरी
थारू भाषा गजल
तुहाँर बिना यी जीवन फे , जीना मन निहो महिँ ।
लागल यी मुटुमक घाउफे , सीना मन निहो महिँ॥
सक्कुन्हक लाग रमाइलो बाटन सारा संसार दुनिया ।
तुँ बिना अक्कलेह कबु , रमीना मन निहो महिँ ॥
देख्ठु और जन्हक आपन मैँयक इतिहास बनल ।
तुहाँर बिनाके अधुरो इतिहास , रचीना मन निहो महिँ ॥
बौरा बन्ख नेङगम बरबरैटि तुहाँर नाउँकेल सद्द ।
और जहन्से झुठो मैयाँ , लगीना मन निहो महि ँ ॥
भ्याट अइहो ओराइट साँस सम अस्या लग्ल रहम ।
तुँ नि आइट सम कालह फे, बनीना मन निहो महिँ ॥
लागल यी मुटुमक घाउफे , सीना मन निहो महिँ॥
सक्कुन्हक लाग रमाइलो बाटन सारा संसार दुनिया ।
तुँ बिना अक्कलेह कबु , रमीना मन निहो महिँ ॥
देख्ठु और जन्हक आपन मैँयक इतिहास बनल ।
तुहाँर बिनाके अधुरो इतिहास , रचीना मन निहो महिँ ॥
बौरा बन्ख नेङगम बरबरैटि तुहाँर नाउँकेल सद्द ।
और जहन्से झुठो मैयाँ , लगीना मन निहो महि ँ ॥
भ्याट अइहो ओराइट साँस सम अस्या लग्ल रहम ।
तुँ नि आइट सम कालह फे, बनीना मन निहो महिँ ॥
No comments:
Post a Comment
https://www.facebook.com/tharusahitykekhojji