Wednesday, 26 February 2014

गजल

बुद्धि चौधरी


थारू भाषा गजल 
तुहाँर बिना यी जीवन फे , जीना मन निहो महिँ ।
लागल यी मुटुमक घाउफे , सीना मन निहो महिँ॥

सक्कुन्हक लाग रमाइलो बाटन सारा संसार दुनिया ।
तुँ बिना अक्कलेह कबु , रमीना मन निहो महिँ ॥

देख्ठु और जन्हक आपन मैँयक इतिहास बनल ।
तुहाँर बिनाके अधुरो इतिहास , रचीना मन निहो महिँ ॥

बौरा बन्ख नेङगम बरबरैटि तुहाँर नाउँकेल सद्द ।
और जहन्से झुठो मैयाँ , लगीना मन निहो महि ँ ॥

भ्याट अइहो ओराइट साँस सम अस्या लग्ल रहम ।
तुँ नि आइट सम कालह फे, बनीना मन निहो महिँ ॥

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