गजल
खेती पाती मजासे करैहो डाई बाबा!
हिलम हाँथ ग्वारा सरैहो डाई बाबा!!
मेहनत कर पर्ठा आज काल धेर!
माना छित्ख मुरी फरैहो डाई बाबा!!
खेती सेक्बो त बिसैहो ठरिक दिन!
साहा म कात्ख धान झरैहो डाई बाबा!!
कर्रक ब्याला ओस्त लान्क धरल धान!
पाछ पाछ डेह्री कुठ्ली भरैहो डाई बाबा!!
और साल त बर्खा कर मैफे आजिम जे!
आइ कि नाहिँ कैख जिन् डरैहो डाई बाबा!!
एम के कुसुम्या
मानपुर २ दाङ
आब मलेशिया
खेती पाती मजासे करैहो डाई बाबा!
हिलम हाँथ ग्वारा सरैहो डाई बाबा!!
मेहनत कर पर्ठा आज काल धेर!
माना छित्ख मुरी फरैहो डाई बाबा!!
खेती सेक्बो त बिसैहो ठरिक दिन!
साहा म कात्ख धान झरैहो डाई बाबा!!
कर्रक ब्याला ओस्त लान्क धरल धान!
पाछ पाछ डेह्री कुठ्ली भरैहो डाई बाबा!!
और साल त बर्खा कर मैफे आजिम जे!
आइ कि नाहिँ कैख जिन् डरैहो डाई बाबा!!
एम के कुसुम्या
मानपुर २ दाङ
आब मलेशिया
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