Wednesday, 2 July 2014

खेती पाती मजासे गरैहो

गजल

खेती पाती मजासे करैहो डाई बाबा!
हिलम हाँथ ग्वारा सरैहो डाई बाबा!!

मेहनत कर पर्ठा आज काल धेर!
माना छित्ख मुरी फरैहो डाई बाबा!!

खेती सेक्बो त बिसैहो ठरिक दिन!
साहा म कात्ख धान झरैहो डाई बाबा!!

कर्रक ब्याला ओस्त लान्क धरल धान!
पाछ पाछ डेह्री कुठ्ली भरैहो डाई बाबा!!

और साल त बर्खा कर मैफे आजिम जे!
आइ कि नाहिँ कैख जिन् डरैहो डाई बाबा!!

एम के कुसुम्या
मानपुर २ दाङ
आब मलेशिया

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