मुक्तक
यिहे अष्टमी म ध्यार ध्यार सारी देख्नु
लाल पीयर कतौति कातल लेहंगा के दारि देख्नु
दिमाग नाई पुग्लिन काहुन दिदी बहिन्यन के
जिउ डाल ते ठिके रहिन मने चाल ऊ अनारी देख्नु
सन्देश दहित
. जानकीनगर खर्गौली, कैलाली
यिहे अष्टमी म ध्यार ध्यार सारी देख्नु
लाल पीयर कतौति कातल लेहंगा के दारि देख्नु
दिमाग नाई पुग्लिन काहुन दिदी बहिन्यन के
जिउ डाल ते ठिके रहिन मने चाल ऊ अनारी देख्नु
सन्देश दहित
. जानकीनगर खर्गौली, कैलाली
No comments:
Post a Comment
https://www.facebook.com/tharusahitykekhojji