Tuesday, 19 August 2014

अ‍ै दादु भैया,दिदि बाबु चलि धोती,लेहङगा चोलिया लगाई

गजल
अ‍ै दादु भैया,दिदि बाबु चलि धोती,लेहङगा चोलिया लगाई 
काहाँ सम सुतबि, आब ते उठि आपन भेषभुषा जगाई ।

बहुत हुगैल औरे संस्कृति के पाछे लागत ओ बिकृति नानत ।
काहॉ सम ननबि, आब ते उठि आपन रिति संस्कृति बचाई ।

हेरागैल हमार उ सक्कु रहनसहन,नाचकोर ओ गीतबास ।
काहॉ सम चुमचाम रहबि, आब ते उठि कुरिती भगाई ।

बहुत बतवा सेकली अधिकार ओ पहिचान के बात । 
आब ते उठि सबजे, यिहिन बचैना बलगर बेन्हवा मगाइृ,


लेखक रबिना चौधरी

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