Sunday, 30 March 2014

गजल

बुझुइहेन जिन्दगिके सार बा तुहार गजलम
मायालु झन प्यार बा तुहार गजलम ।

सिपार मनै तालि मार्ख वा वा कहि
सिकुइहेन सिक्ना आधार बा तुहार गजलम ।

सस्कृति देश व परिभेष बा
सक्कु गुणले भरल शृङ्गार बा तुहार गजलम ।

रोग भोग शोक और धेरनक थोक बा
सादा जिबन उच्च बिचार बा तुहार गजल म ।


चन्द्र बिबस अनुरागि ( हाल मलेसिया)

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