Saturday, 15 March 2014

गजल

गजल
होलि ख्याल तोहनसे*डरैठु*कठी म्वार बन्दिदी।।
जबर्जस्ति खेलैठ त*गरैठु*कठी म्वार बन्दिदी।।

डर लागट सुन्क केल्हक जाँर निपिना मनै मै,
निडोस्लसे डोन्या कपारिम*बरैठु*कठी म्वार बन्दिदी।।

नाचगान कर्बी सक्कुज सहमतिसे रंग खेलैबि,
अस्टक मैयाँ सँट्ना मन*परैठु*कठी म्वार बन्दिदी।।

रंग लगैबो ट अइहो काल बनघुस्रीक बन्वाम,
डुपहरक वहाँ छेग्री*चरैठु*कठी म्वार बन्दिदी।।

निडेठुँ दुख किहु निछिन्ठुँ अधिकार मै औरक,
स्वतन्त्र होक खुशिले मन*भरैठु*कठी म्वार बन्दिदी।।

सुरज बर्दियाली 

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