Tuesday, 8 April 2014

मुक्तक

Nisthuri Chij
जब म्वार आँखीम आँश देख्लो
दोस अन्तवर मधुमास देख्लो

म्वार जिन्दगीक घर उरल ब्याला
सुस्त सुस्त पराईक बास देख्लो

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