Friday 25 April 2014

निरू चौधरी दाङ्ग देउखरी

गजल 

फिलिम हेरे गैलु, इहे
जडियाक् संग
मन, मुटु सट्लु, इहे
जडियाक् संग

झुठ बोल्के दाइ बाबा से
नुक नुक भग्लु इहे जडियाक्
संग

सुग्घर सप्ना व कल्पना 
कर्ति
संङ् संगरिया छोड्के नेङ्लु
इहे जडियाक् संग

थुक्क! धिक्कार बा जिन्दगी मोर
सौतिन्या पर पो अइलु
इहे जडियाक् संग

घरम शान्ती नि हो, रात दिन झगडा किल
धेर द:ख पैलु इहे जडियाक्
संग

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