Lachhu Dangura Tharu
Yesterday at 18:35
गजल
बाँच्ल सम्म हात गोर खिवाके सुख दुख कैनाबा यहाँ
मर्के एकदिन दोसरके कन्ढा म चद्के दुर जैनाबा यहाँ
उधारी हो ई जिन्दगी हमार मनैन के चोला घालल्
जल्मलेक् रिन चुत्ता करेक्लग रात दिन धैनाबा यहाँ
स्वर्थीबा ई संसार सारा दोसरहे मार्के जियक खोज्थै
हार् नाईमान्के हजारौ चोट् लाखौ धोखा खैनाबा यहाँ
जलम देहुईया दाई फे छोड् जैठी केबा आउर अपन्
जिउ जीवनके झोँप्रिहे विष्वासके छप्रासे छैनाबा यहाँ
चली जब सम्म हात गोरा घर रहि परिवार रहि संगमे
रुकिजब साँस ओ जाँगर ओनात खतिया पैनाबा यहाँ
बाँच्ल सम्म हात गोर खिवाके सुख दुख कैनाबा यहाँ
मर्के एकदिन दोसरके कन्ढा म चद्के दुर जैनाबा यहाँ
उधारी हो ई जिन्दगी हमार मनैन के चोला घालल्
जल्मलेक् रिन चुत्ता करेक्लग रात दिन धैनाबा यहाँ
स्वर्थीबा ई संसार सारा दोसरहे मार्के जियक खोज्थै
हार् नाईमान्के हजारौ चोट् लाखौ धोखा खैनाबा यहाँ
जलम देहुईया दाई फे छोड् जैठी केबा आउर अपन्
जिउ जीवनके झोँप्रिहे विष्वासके छप्रासे छैनाबा यहाँ
चली जब सम्म हात गोरा घर रहि परिवार रहि संगमे
रुकिजब साँस ओ जाँगर ओनात खतिया पैनाबा यहाँ
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