Saturday, 26 April 2014

Ram Chandra

सक्कुहुन बँध्ना चिज एकथो मैंया, 'प्रित' मैगर | 
नात भरिम सबसे भारी मजा नात 'मित' मैगर || 

मोर मनके भाव बुझो टुँ गोचाली अब्तो हाली | 
मिल्के सब्जे गाई हम्रे मिठ-मिठ 'गीत' मैगर || 

एक-एक मिलाके हजार हुइत गोचाली उहेतो |
हर दु:ख पलमे मिलत सुखदमय 'जीत' मैगर || 

अंग्ना सुहावन, बनवा सुहावन तोहार साथले | 
उहे मजा संघारी नातके बरसाई 'शीत' मैगर ||

---रामचन्द्र---
कैलाली, नेपाल

No comments:

Post a Comment

https://www.facebook.com/tharusahitykekhojji