Saturday, 19 April 2014

Budhhi Chaudhary

गजल

सज्ज अधिकार के लाग लराइ ,जारी बा हमार !
सास्कृतिक पहिचान के मुद्दा ,भारी बा हमार !!

भाषा भेष भुषा कला सस्कृती ओ परम्परा आपन !
समस्या शिक्षा स्वास्थ, बेरोजगारी बा हमार !!

मेटैना प्रयास कर्ती बाट पहिचान हमार रस रस !
मर्म नि बुझ्ना सर्कार ,अत्याचारी बा हमार !!

गास बाँस कपास से जोर्गिल्बा भुमिक बात फे !
दिनरात पस्ना चुहैना मनैन ,भुख्मारी बा हमार !!

इहे बात मनन कर्ती सम्बिधान म लिखाइ परल !
बुद्धिजिबि अगुवा नेताओन ,खबरदारी बा हमार!!

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