गजल
चरल जवानी मही दे धरो साली!
भरल,जवानी मही दे धरो साली!
पापी यि गाऊँ समाज के नजर,
गरल,जवानी मही दे धरो साली!
आज से काल काल से परऊ,
बरल,जवानी मही दे धरो साली!
रातदिन तुहार मैयकलाग लर्कन,
मरल,जवानी मही दे धरो साली!
दाई कसम सच कहम म्वार मन,
परल,जवानी मही दे धरो साली!
हलव़ार ८ खाद्रे दाङ्ग
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