Friday, 23 May 2014

राम दास थारु

~गजल~
जय होस जेकर जे संविधान बनाई नि सेकुईयान ।
अश्वासन देहनै पुरा करब अधिकारके लाग अन्दोलन करुइयान ।।

बनी संविधान कहनै सबकेउ यि हमार देशमा ।
पुरा हुइल नि बनल संविधानके सपना देखुइयान ।।

यि कैदेब उ कैदेब कैदेब फलाने देहनै झुठा अश्वासन ।
देहनै धोखा नेता हुक्रे देशकेलाग हाँसी हाँसी मरुइयान ।।

पतीयाउ नाई केक्रो बात बोल्थै सबकेउ झुठ् याहाँ ।
उठेक परल युवा हम्रे नयाँ नेपालके सपना संचुइयान ।।

पदनाह-7 बर्दिया

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