Monday 26 May 2014

गजल

 

दुपहरिया गर्मी मर्ना चैनार बगिया हेराइल | 
उहे संगे रुखुवक मिठमिठ अमिया हेराइल ||

घरअंगना सुहावन मग-मग महकना फूला |
चम्फा, चमेली फूला फूल्ना दहिया हेराइल ||

गाउँक पश्चिउ बाह्रो मास खलखल करती |
जुर, कन्चन पानी बहना लड़िया हेराइल ||

कुर्ता, भेस्ट, जिन्सेक पैंतम समाज सजके |
यहाँ आज सुन्दर झोहवर गतिया हेराइल ||

जमाना बदली कहै पुर्खनके, गोचाली हुक्रे |
कह-कहती नाकेक फेंफी, नथिया हेराइल ||

---रामचन्द्र---
मुनुवा-४, कैलाली

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