Sunday 1 June 2014

कम्जाेर समझके

........गजल....

कम्जाेर समझके थारूनके घेँचा डबाइटँ ।
शिकार मच्छी समझके जित्टिहँ खाइटँ ।।

पहिचान हमार चाेरा सेकल यी सरकार ।
बिना पहिचानके हमन मधेशी बनाइटँ ।।

हमार भाषा संस्कृति पहिचान अलग बा ।
तबु फे हमन थारून मधेशी कैख बलाइटँ ।।

अादिवासी भुमिपुत्र हुइति हम्र सक्कु थारू ।
जबरजस्ती मधेशीनके काेटाम सराइटँ ।।

अापन गाउँ ठाउँसे उठाे थारू सक्कु जाने ।
हमन थारून मधेशीनके जालम फसाइटँ ।।

सेबेन्द्र कुसुम्या, हसुलिया ८ कैलाली

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