Thursday, 12 June 2014

मुक्तक

अग्ला हर जनमफे थारुनके घरबार मे हुए |
बचपनके सक्कु सुसार थारु संस्कार मे हुए ||

तातेक दाई-बाबानके मैगर दुलार संगे-संगे |
पहिल बोलिक सुरुवात सजना, धमार मे हुए ||

---रामचन्द्र---
मुनुवा-४, कैलाली

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