Sunday 8 June 2014

पहिचानके बात करती

गजल 

पहिचानके बात करती नारुको अब थारु युवा |
अपन अस्तित्व लुटाए नाझुको अब थारु युवा || 

हेरैती जाइता हमार थारु भाषा, कला, संस्कृति | 
अपन संस्कृति बचाए नाचुको अब थारु युवा || 

पुर्खनके देहल छुट्टै हमार गीतबाँस थारुनके | 
थारुभाषा बेल्सेफे पाला नाढुको अब थारु युवा || 

गाउँशहर, बस्ती-बस्तीसे उठो थारु हुक्रे हाली |
थारु इतिहास चिन्हाई नानुको अब थारु युवा || 

---रामचन्द्र---
मुनुवा-४, कैलाली

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