Monday, 2 June 2014

सच्चा प्रेम कैके फे आज

             गजल

सच्चा प्रेम कैके फे आज मोर नाउ बद'नाम हुईल!
निस्थुरी हे समझके बैठ्ना हर दिनके काम हुईल!!

जिन्दागीमा तुह मिहिन अकेली परलो छोरके आज!
मोर ई जीबन बद्रीक भित्तर नुकाल घाम हुईल!!

बिछोडके जलनमा जित्ती लश जिएक परल मिहि!
मोर लगि इहे जिन्दगी मशन घटके ठाम हुईल!!

अब जिउँ कैसिके मोर जिन्दगीक कोनो अर्थ फे नहो!
लगठ इ मोर जिबन चिरल पन्नक खाम हुईल!!

धोखा पिडा से छेदबिच्छेद मन मुटु हुईती बा आज!
कैसिके कहु पत्तै नि पाईनु मोर जिन्दगी जाम हुईल!!

टेट राम चौधरी (प्रदेशी)
बर्दिया मगरागादी ५ सोनपुर
हाल मलेशिया

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